Friday 20 November 2015

मैं, अजमेर ...3

मेरा जन्म दिन!

      मेरी स्थापना के कई किस्से है। अलग अलग तिथियॉं है। कोई मुझे 12वीं सदी की पैदाइश मानता है तो कोई छठी-सातवीं सदी की। हर इतिहासकार की अलग सोच है। अलग अलग तर्क है। प्रमाणिकता के अलग आधार है।
      आंतेड़ स्थित जैन छतरियों को आधार बनाऐ तो मेरा जन्म 7वीं सदी के पहले हो चुका था। यहॉं भट्टारक रत्नकीर्तिजी के शिष्य पंडित हेमराज जी की छतरी संवत् 817 यानी की 760 ईस्वी की है। यह एक आरम्भिक और पुख्ता प्रमाण लगता है। इसके अलावा भी यहॉं कई पुरानी छतरियॉं है, जो जाहिर करती है कि मेरा जन्म छठी शताब्दी के करीब हो चुका था। जन्म के किस्से और भी है, किंतु आज तक जन्म का ना वर्ष तय हो पाया और ना ही तारीख। खैर... बीते वर्षो में इन्टैक चेप्टर अजमेर, राजकीय संग्रहालय, अजमेर, नगर सुधार न्यास आदि के सहयोग से सन् 2012 में मेरा पहली बार जन्म दिन मनाया गया। दिन था 27 मार्च। इनका तर्क है कि मेरी स्थापना शाकम्भरी चौहानों के 23वें शासक राजा अजयपाल (द्वितीय) ने चैत्र में नवरात्री प्रतिपदा के दिन सन् 1112 ईस्वी को की गई। उस रोज 27 मार्च था, परिणामतः इसी दिन को मेरा स्थापना दिवस के रूप में मनाने का सिलसिला शुरू हुआ।
      जन्म का यह साल मुझे कतई सही नहीं लगता, क्योंकि इससे पूर्व भी अनेक घटनाऐं इस धरा पर हुई है। कुछ तो इतिहास में अंकित भी है। बहुतों के अवशेष आज भी मुखरित है, पर अलग अलग तर्को के कारण आज तक इतिहासकार एकमत नहीं हो पाऐ हैं। हो सकता है नाम इस धरा के नाम अलग रहे हो।
      खैर, मेरा मानना है कि मैं अति प्राचीन हूं, शायद इतना पुराना कि जब इस सभ्यता ने जन्म भी लिया हो! पर, मेरे आज के स्वरूप तक के सफर के लिए बहुत से लोगों ने योगदान दिया है। किसी ने मुझे आबाद किया है तो किसी ने मुझे व्यवस्थित किया है .... और किसी ने मुझे नाम दिया। मुझे खुशी है कि इन्टैक चेप्टर अजमेर संयोजक महेन्द्र विक्रम सिंह, तत्कालीन संग्रहालय अधीक्षक सैयद आजम हुसैन एवं जिला कलेक्टर श्रीमती मंजू राजपाल, वरिष्ठ इतिहासकार प्रोफेसर ओमप्रकाश शर्मा आदि ने मुझे एक जन्म की तिथि दी। मेरा सेलिब्रेशन शुरू हुआ। मैं इनका तहे दिल धन्यवाद ज्ञापित करता हूं। गत वर्ष मेरे सेलिब्रेशन को सरकारी सहयोग के अलावा अन्य संस्थाओं ने भी सहयोग किया और भागीदार बने। 27 मार्च, 2015 को मेरा जन्म दिन फिर मनाने की सुगबुगाहट है....मुझे उम्मीद है कि इस बार मेरा जन्म दिन कुछ स्मार्ट तरीके से आयोजित होगा....क्योंकि मैं स्मार्ट सिटी की दौड़ में अग्रसर जो हूं। साथ ही साथ मैं एक हैरिटेज सिटी भी बनने जा रहा हूं। निश्चय ही मुझे से सरोकार रखने वालों के कुछ दायित्व तो बनते ही है।
                 आरम्भ में मैंअजयमेरूके नाम से जाना जाता रहा। यह दो शब्दअजयऔरमेरूसे मिलकर बना। इसके अलावा राजा अजयपाल द्वारा स्थापित होने के कारण भी मैं अजयमेरू कहलाया। राजा अजयपाल के नाम पर यहॉं आज भी फॉयसागर के निकटअजयसरनामक एक गांव बसा है। उसी के निकटअजयपालजीनामक पिकनिक स्थल भी है। इसी प्रकार चौपाटी पर राजा अजयपालजी की मूर्ति स्थापित है। इसकी  स्थापना तत्कालीन राज्य सभा सांसद ओंकार सिंह लखावत ने 1 मई, 2007 को करवाई। 
      खैर, कालान्तर में ....मैंअजमेरपुकारा जाने लगा। अंग्रेजी में मेरी स्पेलिंग कभी ‘AJMERE’ भी रही है। पुरानी डाक मुहरों में मेरी यही स्पेलिंग पाई जाती है। मुस्लिम जगत ने मुझेअजमेर शरीफका नाम दिया। साम्प्रदायिक सौहार्द की इस नगरी को राजस्थान कीसांस्कृतिक राजधानी’, ‘शैक्षिक राजधानी’, ‘हृदय स्थलीआदि भी कहा जाता रहा है। इतिहासकार कर्नल टॉड ने तो मेरी भोगौलिक, सामरिक और राजनीतिक स्थितियों को देखकरराजस्थान की चाबीतक कह दिया था। अब नये नामों के साथ मेरी चर्चा जोरों पर है .... उम्मीद है आगे मेंस्मार्ट सिटीऔरहैरिटेज सिटीपुकारा जाउॅं। पर, मैं चाहता हूं कि मेरा स्वरूप - ‘यथा नाम तथा गुणबना रहे।
      मेरी स्थापना के बाद आज तक के सफर में मैंने कई उतार-चढ़ाव और उथल-पुथल देखे है। कई राजा-महाराजा आऐ और चले गऐ। सभी ने अपने अपने हिसाब से मेरा दोहन किया और राज किया। किसी ने मुझे उजाड़ा तो किसी ने संवारा भी।
      खट्टे मिट्ठे अनुभवों के साथ मैं निरन्तर परिपक्व होता रहा। हर लम्हा मैंने शिद्दत से जिया है। छोटी मोटी सौगाते तो सदा मिलती रही है, किंतु बीते वर्ष मुझेस्मार्ट सिटीऔरहैरिटेज सिटीजैसी बड़ी सौगातें मिली है, जिसे साकार करने के लिए पूरा प्रशासनिक अमला धार पर है।
      आज मेरा 903वॉं स्थापना दिवस दहलीज पर खड़ा है। कलेक्टर महोदया ने इसकी समिति गठित कर दी है। समिति में अतिरिक्त जिला कलक्टर (द्वितीय), एडीए के सचिव, देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त, पर्यटन विभाग के सहायक निदेशक, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के उपनिदेशक, इंटेक अजमेर चेप्टर के संयोजक, नगर निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को शामिल किया गया है। इसमें सहभागी विभाग और संस्था के प्रतिनिधि भी सहयोग करेंगे।
      मैं चाहूंगा कि यह समिति इस दिवस को एक नया रूप दे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ कुछ ठोस भी करे। एक अच्छी कड़ी जोड़े ताकि यह दिन यादगार बनता चले तथा शहर के मोतियों की माला में एक नया मोती जुड़ सके। समय कम होने के कारण इस बार कुछ नया ना जुड़ सके तो कोई बात नहीं, किंतु कोई योजना आरम्भ तो कर ही सकते है। ताकि मेरे अगले जन्म दिन तक फलीभूत हो सके।
                22 फरवरी, को सरकारी सहयोग से विजय लक्ष्मी पार्क मेंस्मार्ट सिटी फलोवर शो-2015’ आयोजित हुआ। यह एक अच्छा कार्यक्रम रहा। इससे हरियाली, फ्लोवर्स और हॉर्टिकल्चर के प्रति जागृति आऐगी, किंतु इसमें निरंतरता लानी होगी। लोगों को इससे और अधिक जोड़ना होगा।
              30 मार्च को राजस्थान स्थापना दिवस की तैयारियों जोरों पर है। पहले यह 24 से 30 मार्च तक धुमधाम से होना था। इसमें फोटोग्राफी प्रदर्शनी, ऐन्टिक आइटम्स की एक्जिबिशन, अजमेर से संबंधित दस्तावेजों का प्रदर्शन आदि आदि होने थे। किंतु बे-मौसम भारी बारिश और ओलावृष्टि के कारण फसलों को भारी नूकसान हुआ। इसी कारण राज्य सरकार ने अबराजस्थान दिवसको सिर्फ एक दिन यानी 30 मार्च को मनाने का तय किया है। इन्हीं कार्यक्रमों की श्रृंखला में पुनः याद दिलाना चाहूंगा कि मेरे स्थापना दिवस को भी कुछ अलग रंग दिया जाऐ।स्मार्ट सिटीसे जोड़ कर कुछ नया, सृजनात्मक, रचनात्मक, प्रगतिशील और स्थायी किया जाऐ। ताकि स्थापना को मनाना सारगर्भित और ठोस हो सके।
(अनिल कुमार जैन)
अपना घर’, 30-,
सर्वोदय कॉलोनी, पुलिस लाइन,
अजमेर (राज.) - 305001  
                                                                                Mobile - 09829215242

aniljaincbse@gmail.com

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