Thursday 26 November 2015

मैं, अजमेर ....2 

आम आदमी की भी है कुछ जिम्मेदारियॉं

      स्मार्ट बनने को लेकर मैं स्वयं भी उत्सुक हू। सरकारी महकमें और अन्य सभी सहयोगी संस्थाऐं सक्रिय है। सभी की कोशिशें जारी है। पर मैं सोचता हूं कि क्या यह जिम्मेदारी सिर्फ इन संस्थाओं या इनसे जुड़े लोगों की है? क्या इस मिट्टी में पले-बड़े लोगों की कुछ भी जिम्मेदारी नहीं है?
      सच तो यह है कि सबसे पहले और सबसे ज्यादा जिम्मेदारी यहॉं के बाशिंदों की है। यहॉं के नागरिकों की है। यदि, यहॉं का बाशिंदा स्मार्ट होगा तो मैं अजमेर स्वतः ही स्मार्ट हो जाऊंगा। अतः मेरा सभी से निवेदन है कि अपने कर्तव्यों का भलीभॉंति पालन करें। यहॉं के सच्चे नागरिक है तो कुछ फर्ज भी निभाऐं। जो कुछ भी इस मिट्टी से मुफ्त में मिल रहा है, उसका कर्ज चुकाने का प्रयास तो करें। बड़ा काम नहीं तो छोटे-छोटे काम करके भी सहयोग किया जा सकता है। 
      सर्व प्रथम तो यह प्रण लें कि - कचरा नहीं करेंगे... अतिक्रमण नहीं करेंगे और ना ही दूसरों को करने देंगे.... सरकारी सम्पत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाऐंगे ...चोरी-चुकारी नहीं करेंगे.... पॉलीथीन थैलियों का उपयोग नहीं करेंगे... रैम्प सरकारी सम्पती पर नहीं बनाऐंगे.... नाले-पेड़-हैंडपम्प आदि की आड़ में अतिक्रमण नहीं करेंगें...हर कहीं सरकारी सम्पत्ती पर मंदिर-मस्जिद स्थापित नहीं करेंगें.... प्रकृति प्रदत्त हवा-पानी, धरती-आकाश आदि का दुरूपयोग नहीं करेंगे।
      इसी प्रकार यह भी प्रण लें कि अपने घर के बाहर सफाई स्वंय करेंगे.... वाहन ढंग से चलाऐंगें....वाहनों की पार्किंग ढंग से करेंगे... हेलमेट पहनेंगे....दूसरों की मदद को सदा तत्पर रहेंगें ...बेईमानी से दूर रहेंगे ....जागरूक रहकर अपना धर्म निभाऐंगे .....कला संस्कृति को सहेजेंगे ....विकास के लिए काम करेंगे .... अपना काम स्वयं करेंगे....हरियाली का ध्यान रखेंगे.... साफ सफाई रखेंगे... विरासत को सहेजेंगे.... विकास के पथ पर रहेंगे .... शहर की सुंदरता का ख्याल रखेंगे ......आदि आदि।
      यह सब काम छोटे और आम है, किंतु सत्य यह है कि यह सब खास है और इन सब के परिणाम बड़े है। इन्हीं सब छोटे-छोटे कामों में यदि आप सहयोग करेंगे तो निश्चय ही मेरी सूरत और सुंदर हो उठेगी। और जब मेरी हर चीज व्यवस्थित होगी तो स्मार्ट भी होगी ....और मैं बरबस ही स्मार्ट बन जाऊॅंगा।
      मेरी गोद में आज भी इतने दर्शनीय स्थल, आस्था स्थल, ऐतिहासिक स्थल, कलात्मक स्थल है, जो कि हर किसी को आकर्षित करने की क्षमता रखते है। ...और यह स्थल आज भी सैलानियों को आकर्षित कर रहे है, किंतु यह सैलानियों को उतना सुकून नहीं दे पा रहे है, जितना इन्हें देना चाहिऐ। क्योंकि इनका सही रख-रखाव और साफ-सफाई एक स्मार्ट सिटी के अनुरूप नहीं है। कहीं गंदगी का साम्राज्य है, तो कहीं अतिक्रमण का। कहीं आपसी लड़ाई झगड़ों से विकास अवरूद्ध है, तो कहीं लूट-खसोट का चक्कर है। अतः इन स्थलों से जुड़े लोगों को चाहिऐ कि अपनी ड्यूटी पूर्ण निष्ठा से निभाऐं। कुछ ज्यादा ना जोड़ सकें तो जो मूल स्वरूप है, उसे ही सहेंजें। निश्चय ही मेरी ख्याती में गुणात्मक सुधार होगा।
      आज मैंने सिर्फ वे मुद्दे उठाऐं है, जिनका सीधा संबंध यहॉं के बाशिंदों से है। इसमें ना कोई प्लानिंग की जरूरत है और ना ही सोच-विचार की जरूरत है।  ना धन की जरूरत है.... और ना ही सरकार के सहयोग की। बस जरूरत है, तो सिर्फ और सिर्फ ..... अपने आप को सुधारने की ...अपने आप को स्मार्ट करने की ...
      इस कार्य में कुछ संस्थाऐं भी आगे बढ़कर मेरी धरोहरों को गोद लेकर उनकी सार-संभाल कर सकती है। इन कामों के लिए तन-मन-धन सभी चीजों की आवश्यकता है। अतः हर आदमी अपने हिसाब से सहयोग कर सकता है। जिनके पास धन नहीं है, तो वे अपनी सेवाऐं देकर भी इसमें अपनी आहूतियॉं दे सकते है।
      गत वर्ष केन्द्र की मोदी सरकार नेभारत स्वच्छता अभियानआरम्भ किया, जो कि निश्चय ही एक अच्छा अभियान है। कमियॉं ढूंढने वाले इसमें भी कमियॉं ढूंढ लेंगे, किंतु सब जानते है कि ऐसे लोग कैसे होते है। ऐसे लोगों के लिए कह सकते है कि - थोथा चणा बाजे घणा.... नाच जाणे, आंगण टेढ़ा.... गंदे कीड़े को गंदा ही दिखता है... आदि आदि। खैर, आलोचना करने वाले करते रहेंगे, किंतु सच्चाई यह है कि सफाई की जरूरत सभी को है। यह एक सतत् प्रक्रिया है। यह एक रूकने वाला अभियान है। और अजमेर को स्मार्ट बनाने का यह एक पहला कदम है, जिसे मोदी सरकार ने स्टार्ट करके साने पर सुहागा कर दिया है।
      इस अभियान से जहॉं आस-पास सफाई के प्रति एक माहौल तैयार हुआ है, तो एक जागरूकता भी आई है। बहुत से ऑफिसों में अफ्सर स्वयं डस्टर-झाडू आदि के हाथ लगाने लगे है। इसके अलावा दफ्तरों में पड़े अटाले और रद्दी भी साफ हुई है, जिसकी सराहना की जानी चाहिए। किंतु इस कार्य में निरंतरता लानी होगी, क्योंकि सफाई एक सतत् प्रक्रिया है। यदि सफाई रखेंगे तो निश्चय ही माहौल अच्छा बनेगा ....अच्छा लगेगा...और ऊर्जा भी देगा।
      मुझे स्मार्ट बनाने की जिम्मेदारी अब यहॉं के हर नागरिक की है। इसके लिए उसे स्वयं को स्मार्ट बनना ही होगा ....कुछ सोच में बदलाव लाने होंगे....नजरिया बदलना होगा... पुरानी रूढ़िवादिता छोड़नी होंगी... नयी टेक्नोलॉजी अपनानी होगी... तभी जाकर मै स्मार्ट बन पाउॅंगा। मुझे उम्मीद है कि तुम इन छोटे छोटे सुझावों का पालन करके इस शुभ कार्य के लिए अपनी आहूतियॉं देना पसंद करोगे।

(अनिल कुमार जैन)
अपना घर’, 30-,
सर्वोदय कॉलोनी, पुलिस लाइन,
अजमेर (राज.) - 305001  
                                                                                Mobile   - 09829215242

aniljaincbse@gmail.com

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