मैं, अजमेर ....5
आखिर क्यों हूं मैं अमेजिंग अजमेर ॰॰॰?
यानी अमेजिंग
अजमेर! जी हॉं,
फोटूओं में मैं
अमेजिंग अजमेर हूं। 30 मार्च
को राजस्थान दिवस
के अवसर पर
सूचना केन्द्र में
आयोजित फोटो प्रदर्शनी
‘अमेजिंग अजमेर’ से यही
जाहिर होता है।
सकारात्मक सोच से
कहूं तो निश्चय
ही मैं अमेजिंग
अजमेर हूं।
इस प्रदर्शनी
को देखकर दिल
बाग-बाग हो
गया। खूबसूरती का
हर गहना तो
है मेरे पास।
फोटोग्राफरों ने मेरे
हर अंग को
बड़े ही खूबसूरत
अंदाज में कवर
किया है। मेरी
धरोहर, प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक
परम्पराऐं, फ्लोरा एण्ड फूना
आदि क्षेत्रों के
हर अंग को
छूआ है।
30 मार्च से 3 अप्रेल
तक आयोजित इस
प्रदर्शनी में 48 फोटोग्राफरों ने
भाग लिया, जिसमें
301 फोटों को प्रदर्शित
किया गया। फोटो
प्रदर्शनी को देखकर
बहुतों के मुंह
से निकला- ....रियली
अजमेर इज ...अमेजिंग
अजमेर!
इससे पूर्व
जनवरी, 2015 में अजमेर
के डिविजनल कमिश्नर
डा. धर्मेन्द्र भटनागर
के प्रयासों से
सोशल मीडिया के
माध्यम से फेसबुक
पर ‘अमेजिंग अजमेर’
की शुरूआत की।
इसके माध्यम से
आम आदमी को
स्मार्ट सिटी योजना
से जोड़ा गया।
शहर के सौन्दर्यीकरण
के लिए सुझाव
आमंत्रित किऐ गऐ।
ई मेल - एड्रेस
(amazingajmer@gmail.com) बनाया गया।
इसी क्रम में
एक वेबसाइट भी
बनायी जा रही
है। इन प्रयासों
से लाभ तो
होगा ही.... पर
इतना है कि
इससे मुझे एक
सुंदर नाम - ‘अमेजिंग
अजमेर’ भी मिला।
निश्चय ही यह
एक अच्छा नाम
है। यह नाम
अपने आप में
बहुत से अर्थ
समेटे है। पर,
क्या मैं वास्तव
में अमेजिंग
हू? इस पर
गौर करें तो
इतिहास की ऐसी
कई बातें उभर
कर आती है
जो कि मुझे
अमेजिंग कहलाने को बाध्य
करती है।
पौराणिक काल में
चलते है तो
इतिहास के पन्नों
में कई जगह
जिक्र आता है
कि मेरे पुष्कर
में सृष्टि की
रचना के लिए
ब्रह्माजी ने यज्ञ
किया था। यह
एक अमेजिंग फैक्ट
है। गायत्री मंत्र
के बारे में
एक मत है
कि महर्षि विश्वामित्र
ने इस मंत्र
की रचना पुष्कर
में की थी।
अफ्सरा मेनका द्वारा विश्वामित्रजी
की तपस्या भंग
करने का प्रसंग
भी मेरे पुष्कर
का ही माना
जाता है। निश्चय
ही यह अमेजिंग
फैक्ट है।
मेरी भूमि
पर अगस्त्य मुनि,
महर्षि विश्वामित्र, ऋषि जसदग्नि,
गालव ऋषि, मार्कण्डेय
मुनि आदि ने
भी तपस्या की
है। बहुतों की
यहॉं आज भी
गुफाऐं और आश्रम
है। पांडवों ने
भी अज्ञातवास के
समय इस भूमि
पर समय गुजारा
है, जो कि
आज पंचकुंड और
पांडुबेरी के नाम
से जाने जाते
है। भगवान राम
का भी पुष्कर
में पदार्पण हुआ
है। भगवान कृष्ण
ने भी चरण
यहॉं पड़े। बताते
है कि ‘कान्हा
बाय’ (बावड़ी) उन्हीं
की देन है।
पद्म पुराण के
सृष्टि खंड के
अनुसार - पर्वतानां यथा मेरूः
पक्षिणां गरूड़ो यथा, तद्वत्समस्त
तीर्थांनामद्यं पुष्करमिष्यते यानी पर्वतों
में मेरू और
पक्षियों में गरूड़
श्रेष्ठ है, वैसे
ही तीर्थो में
पुष्कर श्रेष्ठ है। निश्चय
ही यह सब
अमेजिंग है।
सूफी संत
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती को भी
मेरा आंचल रास
आया। सन् 1191 में
जब वे यहॉं
आऐ तो फिर
यहीं के हो
गऐ। इनका यह
मुकाम दुनिया भर
में प्रिय है।
यह भी एक
अमेजिंग फैक्ट है।
छठी-सातवीं
शताब्दी की आंतेड़
की छतरियॉं, 1154 ई.
की दादा जिनदत्त
सूरी की छतरी
आदि भी ऐसे
ही स्थान है,
जिनके आलौक में
ना सिर्फ यहॉं
की संस्कृति फलीफूली
और पनपी, अपितु
भारत भर में
इनका आलौक रहा।
चौहान शासकों के
समय भी अजमेर
की तूती बोली।
राजा अजयपाल चौहान
ने चौहान साम्राज्य
की राजधानी बनने
का गौरव अजमेर
को दिया। इसके
पश्चात् पृथ्वीराज चौहान तृतीय
ने सन् 1179 से
1192 तक अजमेर और चौहान
राजवंश को गौरवान्वित
किया। यह अंतिम
हिंदू सम्राट भी
कहलाया। निश्चय ही यह
अमेजिंग है।
अंग्रेजी राज में
बनी मेयो कॉलेज
यानी भारत का
ईटन से कौन
वाकिफ नहीं है।
शिक्षा, सर्वांगीण विकास और
कलात्मक बनावट के लिए
अमेजिंग है। सोनीजी
की नसियॉं, स्वर्णिम
अयोध्या नगरी, सेठ साहब
का मंदिर- महापूत
जिनालय आदि ऐसी
कलाकृतियॉं है जो
कि हकीकत में
अमेजिंग है।
भारत में
अंग्रेजी राज की
शुरूआत की कहानी
भी मेरी भूमि
से ही आरम्भ
होती है। बात
10 जनवरी, 1616 की है,
जब मैग्जीन में
मुगल शासक जहॉंगीर
से अंग्रेज राजदूत
सर टॉमस रॉ
की मुलाकात हुई।
इसी मुलाकात का
नतीजा था कि
अंग्रेजों को भारत
में व्यापार करने
की अनुमति मिली
और वे यहॉं
के शासक बन
बैठे। मुझ से
इन घटनाओं का
जुड़ना अमेजिंग है।
मेरी भूमि
की ऐसी ही
धरोहरों को समेटते
हुऐ गत 30 मार्च
को राजस्थान दिवस
पर ‘अद्भुत अजमेर’
नाम से एक
झांकी जयपुर में
प्रस्तुत की गई।
निश्चय ही यह
अमेजिंग थी। किंतु
यह सब मेरे
अतीत से जुड़ी
बातें है। इनके
अनुसार- मैं अमेजिंग
हूं। फोटूओं में
भी... मैं अमेजिंग
हूं, किंतु क्या
दिखने में अमेजिंग
हूं? ....शायद उतना
अमेजिंग नहीं! अभी मुझे
और निखारना होगा...
मेरे हर अंग
को संवारना होगा...व्यवस्थित करना होगा....फिर चाहे
वे यहॉं के
बाजार, फुटपाथ, नालियॉं, वायरिंग,
दफ्तर, सड़क, यातायात,
गलियॉं, घर, दुकान,
बस्ती, धरोहर, साइनबोर्ड आदि
ही क्यों ना
हो! हर चीज
को अमेजिंग रूप
देना होगा। अब
वह समय आ
गया है कि
मैं दिखने में
भी अमेजिंग होऊ।
इसके लिए हर
आदमी को कमर
कसनी होगी। प्रशासन
को चुस्तदुरूस्त होना
होगा। अन्यथा ‘अमेजिंग
अजमेर’ नाम सिर्फ
कागजी होकर रह
जाऐगा।
(अनिल
कुमार जैन)
‘अपना
घर’, 30-अ,
सर्वोदय
कॉलोनी, पुलिस लाइन,
अजमेर
(राज.) - 305001
Mobile - 09829215242
aniljaincbse@gmail.com
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