मैं, अजमेर ...1
अजमेर - एक स्मार्ट सिटी
आज मेरी चर्चा चहुं ओर है. अमेरिका से लेकर हर
अजमेरी तक. अजमेर के हर गावं तक....यहॉं तक की हर गंवई तक. हर ओर मेरी चर्चा है. अमेरिका
मुझे स्मार्ट देखना चाहता है. भारत सरकार भी उसी के साथ कदमताल मिला कर प्रयास कर रही
है. स्थानीय स्तर पर बैठके हो रही है. कहीं सुझावों की बात हो रही तो कहीं मेरी ओढ़नी
में चॉंद-सितारे जड़ने की बात चल रही है. मेरा चोला साफ सुथरा किया जा रहा है.....कुछ
तमगे भी जोड़े जा रहे है. इन सब से एक उम्मीद जगी है कि जल्द ही मैं एक ‘स्मार्ट सिटी’
बन जाऊॅंगा.
वैसे एक बात बता दूं कि मेरी रग रग में आरम्भ
से ही स्मार्टनेस है. मैं हमेशा से ही स्मार्ट रहा हूं, किंतु मेरी नैया खैने वालों
ने ही मुझे कभी स्मार्ट नहीं होने दिया. कभी मेरे सीने पर अतिक्रमण किये तो कभी बे-तरतीब
अपने मतलब का तथाकथित विकास किया... उसी का परिणाम है कि मैं विकसित तो हुआ...पर जैसा
होना चाहिऐ वैसा नही हो पाया हूं.
सच्चाई यह है कि चौहानों के शासन काल में मैं
हिंदूस्तान का ताज रह चुका हूं. इसके बाद राजस्थान की राजधानी बनते समय भी मेरा नाम
आगे आगे चला, किंतु यह बात फलीभूत न हो सकी. खैर, इतिहास में जो भी रहा हो, इसका खामियाजा
मैं आज तक भुगत रहा हूं.
हकीकत में, मैं एक ऐसा शहर हूं जो... प्राचीन
है, ऐतिहासिक है, संघर्षों से परिपूर्ण है, कलात्मक है, धार्मिक है, सहिष्णु है, संस्कृतियों
का संगम है,....और तो और जीवंत है, इसके बावजूद मैं आज भी विकासशील की राह पर ही हूं.
मुझ पर नजर पसारो तो मेरी भूमि भरी पूरी आबाद
है. हर अंग गदराया गदराया है. मेरे गर्भ में अनगिनत मोती है तो मेरी आगोश में अनगिनत
संभावनाऐं है. मुझ में सुंदर प्रकृति है, पहाड़ है, नदियॉं है, उपत्याकाऐं है, सर्पिली
घाटियॉं है, झीलें है, रेगिस्तान है....खनीज-संपदा है, खेत-खलियान है, किले है, महल
है, बावड़ियॉं है, शौर्य की गाथाऐं है, रणबांकुरों के किस्से है, मेले है, त्यौहार है,
आस्था है, धर्म है, आध्यात्म है, पर्यटन है, संस्कृति है.... मतलब क्या नहीं है! सब
कुछ तो भरा पूरा... रसीला है.
यॅू मैं मुगलों और राजा-महाराजाओं के काल में
संघर्षों से पिसता रहा हूं, किंतु फिर भी मैंने अपने हर काल से कुछ सिखा है. कुछ तमगे
जोड़े है. कुछ अच्छाईयॉं समेटी है. इसी का परिणाम है कि मेरी संस्कृति अनूठी है, प्रगाढ़
है, मिलीजुली है और विराट है.
मेरे एक छोर पर ब्रह्मा का निवास है तो एक छोर
पर ख्वाजा गरीब नवाज का दर है. एक ओर जैन आस्था की प्राचीन छतरियॉं है तो दूसरी ओर
कला का अप्रितम नमूना नसियॉं भी है. एक ओर नारेली तीर्थ है तो एक ओर सांई बाबा का धाम
भी है. शिक्षा के लिए मेयो है तो चित्रकारी के लिए बणीठणी भी है. इसी प्रकार संगमरमरी
किनारा लिए रमणीक झील है, तो हिंदू-मुस्लिम स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना अढ़ाई दिन का
झौंपड़ा भी है.
कहने का तात्पर्य है कि मैं इन सब चीजों से सजा-धज्जा
पहले ही स्मार्ट हूं, बस जरूरत है मेरे रखरखाव की, अतिक्रमण हटाने की, निरंतर साफ-सफाई
रखवाने की, बढ़ती आबादी और यातायात के दबाव को सही बांटने की, आधुनिकता के साथ प्राचीनता
का सही तालमेल कर कदम बढ़ाने की ..... इसके अलावा जरूरत है मेरे विकास के लिए आऐ पैसों
को सही दिशा में ईमानदारी से लगाने की.... मैं बरबस चहक उठूंगा... स्मार्ट हो जाऊॅंगा
एक ‘स्मार्ट सिटी’ की तरह॰
(अनिल
कुमार जैन)
‘अपना
घर’, 30-अ,
सर्वोदय
कॉलोनी, पुलिस लाइन,
अजमेर
(राज.) - 305001
Phone - 09829215242
No comments:
Post a Comment