Wednesday 18 November 2015


मैं, अजमेर ... 12

विसर्जन

नयी परम्परा में आस्था की उड़ी धज्जियॉं


      बीते दिनों मेरे यहॉं गणेशजी विसर्जन पर भीड़ का सैलाब उमड़ा। फूहड़ नाच गाने... बोतल का नशा, अबीर-गुलाल के बीच लड़के-लड़कियों की छेड़छाड़ नयन मटक्का और भीड़ के रैले में आस्था की उड़ती धज्जियॉं यानी बहुत कुछ था। इसके अलावा इन सब से उपजा ट्रेफिक जाम जो कि शहरवासियों का सिरदर्द बन कर उभरा।
      मुझे याद है - बीते ढेड- दो दशक पहले सिर्फ महाराष्ट्र मण्डल में या फिर कुछ महाराष्ट्रियन परिवार ही अपने यहॉं गणेशजी विराजमान करते थे। पांडाल लगता था और गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनता था, किंतु देखते ही देखते गली-गली क्या घर-घर में गणेशजी विराजमान होने लगे है। गणेश भक्तों की बाढ़ सी गई है। इसी प्रकार नवरात्रा पर भी शहर में कुछ ऐसा ही माहौल बनता है। पहले नवरात्रा पर सिर्फ बंगाली गली में धूम होती थी। धीरे धीरे इसका भी जोश सिर चढ़ कर बोला। दुर्गामॉं के पंडाल सजने लगे। इसी के साथ गरबा रास के पंडालों की धूम मचने लगी। दोनों उत्सवों में माहौल कुछ एक जैसा ही रहता है तथा दोनों उत्सवों में भक्तों की भीड़ में साल दर साल इजाफा हो रहा है।
      धार्मिक माहौल बनता है। अच्छा लगता है। पूरा शहर एक भक्तिमय माहौल में रचबस जाता है। यहॉं तक तो सब ठीक है, किंतु इन सब के साथ इनसे जुड़ी दूसरी बूराईयों ने भी मेरे यहॉं घर कर लिया है। फिलहाल तो सबसे ज्यादा इस बार जो कठिनाई मेरे पूरे शहर को भुगतनी पड़ी वो है - ट्रेफिक जाम की। जी हॉं, अनंत चतुर्दशी यानी 27 सितम्बर, 2015 को विसर्जन का सिलसिला यूं चला की पूरे शहर को परेशानी हुई।
      पहले इन प्रतिमाओं का विसर्जन आनासागर में होता था। प्रतिमाओं के विसर्जन से झील के पानी में प्लास्टर ऑफ पेरिस, लेड, जिंक, कैडमियम अन्य केमिकल कलर्स आदि से पानी में प्रदूषण बढ़ने लगा। धीर-धीरे यह सिलसिला बढ़ा तो प्रशासन और मेरे खैवनहारों की ऑंखें खुली। झील का पानी स्वच्छ निर्मल रखना दुभर हो गया। परिणामतः लोक अदालत में पीआइएल दायर हुई। 28 अगस्त, 2009 को स्थायी लोक अदालत ने जनहित याचिका पर निर्णय देते हुऐ आनासागर सहित तमाम जल स्रोतों में मूर्ति विसर्जन पर रोक लगा दी थी।
      इसके बाद नगर निगम के तत्कालीन महापौर धर्मेन्द्र गहलोत ने सुभाष उद्यान के कुंड में विजर्सन की अस्थायी व्यवस्था की, जिससे मेरी झील को कुछ राहत मिली। सुभाष उद्यान में शिवजी की मूर्ति के आगे बने नौकायान के कुण्ड में प्रतिमा विसर्जन की व्यवस्था की गई। सन् 2014 तक विसर्जन का सिलसिला इसी कुंड में चला। निरंतर भक्तों की बढ़ती भीड़, अनादर होती प्रतिमाओं और नौकायान में आई कठिनाइयों के चलते इस बार सितम्बर, 2015 में सुभाष उद्यान में बच्चों के झूलों के सामने वाले स्थान पर एक नया कुण्ड विकसित किया गया। यह करीब 2400 वर्गफुट आकार का कुंड है। अनंत चतुर्दशी को इस बार गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन इसी कुंड में किया गया, किंतु यह नाकाफी रहा। हजारों की संख्या में प्रतिमाओं के वनिस्पत यह छोटा रहा। इसके अलावा प्रतिमाओं के आकार के लिहाज से भी यह छोटा रहा।
      कुंड की गहराई सात फीट रखी गई, किंतु प्रतिमाओं का आकार 10 फीट से भी ज्यादा रहा। परिणामतः बहुत सी प्रतिमाऐं विसर्जित भी नहीं हो सकी। जो विसर्जित हुई, वो भी बेतरतीब सी कुंड में आडी-टेढी ठसाठस भरी गई। आस्था का कहीं नामोनिशान नहीं था। बस एक रस्म निभाई जा रही थी। बहुत सी प्रतिमाओं को इसी कुंड के करीब चबूतरे पर बिना विसर्जन के ही रख दिया गया, जिन्हें अगले दिन निगम ने अपने स्तर पर विसर्जित किया। सच्चाई तो यह है कि इस रोज जाम की परेशानी को देखते हुऐ कुछ लोग तो गुपचुप तरीके से रीजनल कॉलेज की तरफ से आनासागर झील में भी प्रतिमाएं विसर्जित कर गऐ।
      विसर्जन के लिए उमड़ी भीड़ के हालात यह थे कि दौलत बाग की ओर जाने वाले रास्ते वाहनों से अटे पड़े थे। स्टेशन रोड़, पृथ्वीराज मार्ग, आगरा गेट, फव्वारा सर्किल, राम प्रसाद घाट, बजरंग गढ़ चौराहा आदि पर घंटों जाम रहा। दिन भर शोर-गुल के बीचगणपति बप्पा मोरियाके जयकारे के साथ ट्रैफिक खसक रहा था। गणेशजी के भक्तों ने विघ्नहर्ता को शहरवासियों के लिए विघ्न का कारण बना दिया। नसियॉं के आस-पास तो हालात और भी जटिल थे।
      उल्लेखनीय है कि इसी दिन जैन समाज का अनन्त चतुर्दशी पर्व भी रहता है। सभी जैन मंदिरों नसियॉंओं में विशेष कार्यक्रम रहता है। आगरा गेट स्थित सोनीजी की नसियॉं में सांय तीन बजे के करीब कलशाभिषेक भजनों के साथ ऐरावत हाथी पर श्रीजी को घुमाने की एक अनूठी प्राचीन परम्परा है। इस उत्सव में त्यागी, व्रती एवं हजारों नर-नारी भाग लेते है। परिणामतः जैन श्रृद्धालुओं को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इस बार राष्ट्र संत पुलक सागरजी महाराज ने भी नसियां के कार्यक्रम में शिरकत की, किंतु यहॉं लगे जाम और उड़ते गुलाल से सभी को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ा। 
      विसर्जन की यह समस्या ना सिर्फ अजमेर की अपितु देश भर की है। पर्यावरण, नदी, तालाब आदि को बचाने के लिए दैनिक भास्कर ने तोमिट्टी के गणेश घर में विसर्जनकी एक मुहिम भी चलाई। इसी के चलते बहुत सी जगह तो जागरूकता आई भी हैं, किंतु इस मुहिम को अभी और बढ़ाना होगा।
      अजमेर के परिपेक्ष्य में जन प्रतिनिधियों प्रशासनिक अमले को इस गंभीर समस्या पर गहनता से सोचना होगा और हल निकालना होगा। दहलीज पर दस्तक दे चुकी नवरात्रा के मध्यनजर भी प्रशासन को कुछ सोचना चाहिऐ था, पर सुधार के क्रम में कोई सुगबुगाहट नहीं हुई। परिणाम यह हुआ की नवरात्रा पर भी शहर भर में माता की बड़ी बड़ी प्रतिमाऐं बिकी। प्लास्टर ऑफ पेरिस हानिकारक रंगों से सजी धजी बिकी। अतः मेरे बाशिंदों को इस बार फिर इसी प्रकार की समस्या से जूझने के लिए तैयार रहना होगा।
      मैं तो चाहुंगा की इस समस्या का स्थायी समाधान निकले। इसके लिए प्रतिमाऐं ईको फ्रेंडली हो। मिट्टी की बने। छोटी बने। विसर्जन घर में हो या शहर में एरिया वाइज विभिन्न स्थानों पर कृत्रिम कुंडों में हो। ऐसे कुंड क्षेत्रवार करीब 10-12 हो। इसके अलावा प्रतिमाऐं बनाने वालों को भी प्रतिमा के छोटे आकार मिट्टी से बनाने के लिए पाबंद करना होगा। विजर्सन के विकल्प के तौर पर पानी के छींटे लगा कर भी विसर्जित करने की सोची जा सकती है। सन् 2009 में पुष्कर सरोवर के सूखा होने पर इसी प्रकार प्रतिमाऐं विसर्जित की गई थी।
      इन सबसे ज्यादा जरूरी है गणेश दुर्गा भक्तों को अपने आप में सुधार लाने की। क्योंकि यह सिर्फ आस्था का विषय है। अतः दिखावे से ज्यादा उन्हें मन से इन उत्सवों से जुड़ना चाहिऐ। फूहड़ गानों के बजाय आस्था के गाने लगाऐं तो ज्यादा बेहतर है। नशीले पदार्थो से परहेज करे तो सोने पर सुहागा होगा। शहर में जुलूस अदब से निकले तो स्वयं के साथ साथ शहर की शान में निश्चय ही इजाफा होगा। विसर्जन में अपने अंहकार और ममकार का विसर्जन करें तो कहना ही क्या! इहलोक के साथ साथ परलोक भी सुधर जाऐगा। मुझे उम्मीद है मेरे बाशिंदें इन सुझावों पर गौर करेंगें अमल में लायेंगे।
      प्रशासन के सिवाय शहर को सुधारने इसे स्मार्ट बनाने में यहॉं के लोग भी अपनी भागीदारी समझंगें रचनात्मक सहयोग करेंगे।

(अनिल कुमार जैन)
अपना घर’, 30-,
सर्वोदय कॉलोनी, पुलिस लाइन,
अजमेर (राज.) - 305001  


                                                                                Mobile - 09829215242

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