Wednesday 30 December 2015

मैं, अजमेर ...17

मेरा सपना - मेरा हवाई अड्डा

              मेरा हवाई अड्डा फिलहाल तो आधा जमीं पर और आधा हवा में ही है। मतलब इसका कार्य तो चल रहा है, पर वो गति नहीं पकड़ पा रहा है। कभी जमीन के अधिग्रहण को ग्रहण लग जाता है तो कभी हवाई अड्डे वाली भूमि पर बसे ग्रामीणों के विस्थापन और उनके मुहावजे पर बात अटक जाती है। खैर, उम्मीद है वर्ष 2017 में मेरे यहॉं हवाई अड्डा तैयार हो ही जाऐगा।
                 इसके नीव की शुरूआत 21 सितम्बर, 2013 को हुई, जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने इस हवाई अड्डे का शिलान्यास किया। इस मौके पर राजस्थान की तत्कालीन राज्यपाल श्रीमती मार्ग्रेट अल्वा, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, नागरिक उड्यन मंत्री अजीत सिंह, राज्य मंत्री वेणूगोपाल एवं कोर्पोरेट अफेयर्स मंत्री मेरे स्थानीय सांसद सचिन पायलट आदि मौजूद थे। छोटे शहरों को इस प्रकार के छोटे हवाई अड्डों से जोड़ने की यह योजना सौ हवाई अड्डों की हैं, जिस कड़ी में मेरे यहॉं यह पहला शिलान्यास किया गया। इस हवाई अड्डे को 36 माह में पूरा किया जाना है।              
                मेरे यहॉं हवाई अड्डे की चर्चा यॅू तो 2-3 दशकों से चल रही थी। प्रधानमंत्री राजीव गांधी के जमाने में भी बात उठी। अजमेर के सांसद रासासिंह रावत अन्य नेताओं ने भी समय समय पर अपने मंच के माध्यम से इस मुद्दे को उठाया, किंतु फ्लोर पर यह मुद्दा सन् 2013 में ही फलीभूत हुआ। इससे पूर्व सबसे निकटतम हवाई अड्डा सांगानेर (जयपुर) ही रहा। इसके अलावा हैलीकॉप्टर के लिए घूघरा में हैलीपेड अवश्य रहा।
                हवाई अड्डे के लिए पहले ब्यावर रोड़ स्थित सराधना में जमीन देखी गई। सराधना बरसों तक चर्चा में रहा, पर अन्ततः यह किशनगढ़ के निकट वाली भूमि फाइनल हुई। यह अजमेर से करीब 30 किमी दूर स्थितमार्बल सिटीकिशनगढ़ के निकट उत्तर पश्चिम की ओर मदनगंज, राठौड़ों की ढाणी, जाटली सराणा की भूमि पर बन रहा है। ऐयरपोर्ट के लिए विकसित होने वाली करीब 700 एकड़ (283 हेक्टेयर) भूमि है। इसमें 60 एकड़ भूमि वह भी शामिल है, जिस पर अभी एयरस्ट्रिप है। सुपुर्दगीनामें के अनुसार इस भूमि में से 221.20 एकड़ भूमि राज्य सरकार ने 22 अक्टूबर, 2009 को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को उपलब्ध करा दी थी। इसके अतिरिक्त 14.04 एकड़ खातेदारी की भूमि को अवाप्त कर भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के नाम नामांतरकरण खोला जा चुका है। 29 मई, 2013 को 441.7 एकड़ भूमि और हस्तानान्तरित की गई। इस प्रकार 29 मई, 2013 तक भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को 677.03 एकड़ भूमि निशुल्क हस्तानान्तरित की जा चुकी थी। किशनगढ़ की इस पुरानी एयरस्ट्रिप पर हवाई सेवा की औपचारिक शुरूआत 6 सितम्बर, 2004 को हुई। 
                 समुद्र तल से करीब 450 मीटर की ऊॅंचाई पर स्थित इस निर्माणाधिन हवाई अड्डे की किशनगढ़ से दूरी करीब 2 किमी है। अजमेर से किशनगढ़ जाते समय यह राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर उल्टे हाथ की ओर पड़ता है। यह करीब 26.34 डिग्री उत्तरी अक्षांस से 74.49 डिग्री पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है। एक मोटे अनुमान के अनुसार इस पर करीब 181 करोड़ रूपये खर्च होना है।


                प्रथम चरण में यह ऐयरपोर्ट डेश-8 क्यू 400 टाइप विमानों के लिए विकसित किया जाऐगा तथा इसके उपयोग मांग के अनुरूप द्वितीय चरण में इसे -321 टाइप एयरक्राफ्ट के लिए विकसित किया जाऐगा। एयरपोर्ट डोमेस्टिक प्रकृति का होगा। आरम्भ में रन-वे, टर्मिनल बिल्डिंग, अप्रोन, टैक्सी ट्रक रनवे, शॉल्डर बाउंड्री वॉल आदि का कार्य हो रहा है। डेश 8 क्यू 400 श्रेणी के विमानों में 72 90 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था होती है। बाउंड्रीवॉल, रन-वे आदि का कार्य प्रगति पर है। रन-वे की लम्बाई करीब 2152 मीटर है। एचटी और एलटी विद्युत लाईनों को हटाने का कार्य भी प्रक्रिया में है। टर्मिनल बिल्डिंग का कार्य भी प्रगति पर है। इसका कार्य अजमेर के मैसर्स रंजीत सिंह चौधरी ठेकेदार कर रहे है।
                ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे की पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु यहॉं 27 मई, 2014 को जनसुनवाई हुई है, जिसमें यहॉं के ग्रामीणों की समस्याऐं सुनी गई तथा उन्हें आश्वस्त किया गया कि प्रशासन की ओर से निष्पक्षता से सभी बिंदुओं पर कार्यवाही की जाऐगी। इसके अलावा इस क्षेत्र की मिट्टी, जलवायु, पशु-पक्षी, वनस्पति, वन्य जीव प्राणी, जानवर, जलीय पक्षी, वायु की गति दिशा, प्रदुषण, ध्वनी, वर्षा, आद्रर्ता जैसे अनेक घटकों की गहन जॉंच की गई तथा पर्यावरण संबंधी विस्तृत रिपार्ट जारी की गई। रिपोर्ट के अनुसार पर्यावरण संतुलन आदि को सही रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने की भी बात कही गई है। 
                राज्य सरकार को जो भूमि अधिग्रहण कर के भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण को सौंपनी थी वह कार्य अभी भी प्रक्रिया में ही है। अधिकांश भूमि दी जा चुकी है, किंतु करीब 68 एकड़ भूमि की अवाप्ति का मसला अटका है। खैर, प्रशासन इस ओर सक्रिय है। 17 दिसम्बर, 2015 में हवाई अड्डा प्राधिकरण अध्यक्ष आर.के.श्रीवास्तव ने भी इस स्थल का दौरा किया तथा बची हुई जमीन के मिलते ही काम पूरा होने की उम्मीद जताई। ऐयरपोर्ट ऑथेरिटी महानिदेशक संजीव जिंदल संयुक्त महानिदेशक एलजी मीणा आदि भी कार्य पूरा कराने में सक्रिय है।
                अभी मेरे यहॉं से हवाई जहाजों के उड़ानों में देरी है, किंतु मेरे बाशिंदे अपने हवाई उड़ान के सपने अभी से बुनने लगे है। हवाई अड्डा बनते ही मेरे आंगन में बने जगत पिता ब्रह्माजी के धाम, सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अन्य पर्यटन स्थलों पर देश-विदेश के पर्यटकों, श्रृद्धालुओं पीआईपी लोगों की संख्या में गजब का इजाफा होने की उम्मीद है। उर्स एवं कार्तिक पुष्कर मेले में भी दूर दूर से लागों की आवक में इजाफा होगा। किशनगढ़ के मार्बल उद्योग, पावरलूम उद्योग, बणीठणी पेंटिंग एवं ब्यावर के उद्योगों पुष्कर-अजमेर के धार्मिक यात्राओं पर्यटन सहित कई चीजों के पंख लगेंगे।
                हवाई अड्डे का नाम क्या होगा? यह भी चर्चा में है। कुछ इसका नाम अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज के नाम पर चाहते है तो कुछ सूफीसंत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती तो कुछ प्रजा पिता ब्रह्मा के नाम पर इसका नाम चाहते है। फिलहाल इसका कार्यकिशनगढ़ ऐयरपोटर्के नाम से चल रहा है। देखते है - प्रशासन, जनप्रतिनिधि सरकार इसे क्या नाम देते है। जो भी हो, हवाई अड्डे के निर्माण के साथ ही मेरे यहॉं एक नये युग की शुरूआत होगी।हॉट डेस्टिेनेशनके रूप में मैं देश-विदेश के लोगों की जद में होगा।
(अनिल कुमार जैन)
अपना घर’, 30-,
सर्वोदय कॉलोनी, पुलिस लाइन,
अजमेर (राज.) - 305001  
                                                                                Mobile - 09829215242

aniljaincbse@gmail.com

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