मैं, अजमेर ...15
मुझे जरूरत
है - सुनियोजित विकास
की
एक जमाना
था जब मैं
सिर्फ परकोटे में
था। बस्ती, बाजार,
राजा-प्रजा, प्रशासन
आदि सभी कुछ
शहर के दरवाजों
के भीतर था।
एक व्यवस्था थी,
किंतु समय के
साथ बदलाव आते
गऐ और दूसरी
तरफ मेरी आबादी
बढ़ती गई। परिणामतः
मेरा विस्तार हुआ
और मैं परकोटे
के भीतर से
बहार दूर दूर
तक फैल गया।
सन् 1865 में आगरा
गेट के बाहर
सोनीजी की नसियॉं
का निर्माण हुआ।
अगस्त, 1875 में रेल
का आगमन हुआ।
सन् 1879 में लोको
वर्कशॉप एवं कैरिज
वर्कशॉप की स्थापना
हुई। सन् 1884 में
विक्टोरिया टावर (घंटाघर) बना।
शिक्षा के क्षेत्र
में सन् 1875 में
मेयो कॉलेज व
सन् 1896 में राजकीय
महाविद्यालय की स्थापना
हुई। इसी प्रकार
सन् 1904 में सैन्ट
एन्सलम स्कूल एवं सन्
1919 में सोफिया स्कूल की
स्थापना हुई। सन्
1895 में विक्टोरिया अस्पताल का
निर्माण हुआ।
बस्तियों की बात
करें तो सन्
1900-1947 के मध्य में
केसरगंज, गुलाबबाड़ी, आदर्शनगर क्रिश्चियनगंज,
इत्यादि, आवासीय कॉलोनियों का
नियोजित विकास हुआ। स्वतंत्रता प्राप्ति के
पश्चात् यहाँ काफी
बड़ी मात्रा में
शरणार्थी आए और
अव्यवस्थित रूप से
शहर के विभिन्न
क्षेत्रों में बस
गये। सन् 1960-70 के
दशक में क्षेत्रीय
महाविद्यालय, आयुर्विज्ञान महाविद्यालय, एच.एम.
टी. आदि विकसित
हुए। 1970 से 1980 के बीच
शास्त्री नगर, भगवान
गंज, वैाशाली नगर,
सर्कुलर रोड़, धोला
भाटा आदि विकसित
हुऐ। 1980 से 90 के दशक
में ज्वाला प्रसाद
नगर, अर्जुन लाल
सेठी नगर, एम
डी नगर अस्तित्व
में आऐ तथा
इसके बाद वाले
दशक में हरीभाऊ
उपाध्याय नगर, बी
के कॉल नगर,
चन्द्रवरदाई नगर व
महाराणा प्रताप नगर बने।
2007-08 में पृथ्वीराज नगर योजना
आई तो वर्ष
2012 में डीडीपुरम आवसासीय योजना
लागू हुई।
कहने का
अर्थ है कि
धीरे धीरे इसी
प्रकार मेरे यहॉं
चीजें जुड़ती गई
और मेरा विस्तार
होता गया। कई
नयी बस्तियॉं और
कॉलोनियॉं जुड़ी। कुछ प्लानिंग
के तहत तो
बहुत कुछ बिना
प्लानिंग के ही
मुझ से जुड़
गया। बड़े शहरों
से तुलना करू
तो शायद मैं
ही सबसे अव्यवस्थित
हूं।
विभिन्न गतिविधियों को
सुनियोजित करने के
लिए सन् 1869 में
अजमेर नगर परिषद्
की स्थापना की
गई। इसी क्रम
में शहर के
सुनियोजित विकास के लिए
वर्ष 1962 में नगर
सुधार न्यास की
स्थापना हुई। इसके
तहत कई योजनाऐं
बनी और कार्यान्वित
भी हुई। एक
व्यवस्था के तहत
मेरा विकास हुआ,
पर फिर भी
ढेरों कमियॉं रह
गई। सन् 1941 में
मेरी जनसंख्या 147258 थी,
जो वर्ष 2001 में
बढकर 485575 व वर्ष
2011 में 551360 हो गई।
निश्चय ही परिस्थितियों
में अंतर आया
है। शहर और
शहरवासियों की जरूरतें
बढ़ी है, किंतु
उसके अनुरूप मेरा
विकास और विस्तार
नहीं हुआ।
मास्टर
प्लान
मेरे व्यवस्थित
विकास के क्रम
में सन् 1971 से
1991 तक के लिए
मेरा पहला मास्टर
प्लान बना। इसे
टाउन प्लानिंग डिपार्टमेंट
ने बनाया। इसी
प्लान को फिर
सन् 2001 तक के
लिए बढ़ाया गया।
इसी के तहत
नगर परिषद, यूआईटी
आदि विभाग कार्यरत
रहे। वर्ष 2004 में
मेरे लिए दूसरा
मास्टर प्लान बना। इसमें
2001 को आधार मानकर
इसे सन् 2023 तक
के लिए बनाया
गया। इसमें 23 राजस्व
गांव शामिल किऐ
गऐ। वर्ष 2013 में
यूआईटी से क्रमोन्नत
होकर अजमेर विकास
प्राधिकरण बनने तथा
118 राजस्व ग्रामों को अजमेर
विकास प्राधिकरण रीजन
में सम्मिलित किऐ
जाने के बाद
से फिर से
मेरे मास्टर प्लान
की जरूरत महसूस
की गई।
फलतः वर्ष
2013 को आधार वर्ष
एवं वर्ष 2033 को
क्षितिज वर्ष मानते
हुऐ मेरा नया
मास्टर प्लान 2013-2033 का खाका
तैयार हुआ। इसके
प्रारूप को 28 सितम्बर, 2013 को
अजमेर विकास प्राधिकरण
के तत्कालीन अध्यक्ष
और जिला कलेक्टर
वैभव गालरिया ने
जारी किया। इस
पर मेरे जनप्रतिनिधियों
से भी सुझाव
मांगे गऐ, किंतु
अधिकांश जनप्रतिनिधियों ने रूचि
नहीं दिखाई। फिलहाल
महिला एवं बाल
विकास मंत्री अनिता
भदेल ने सुझाव
पहुंचे है। खैर,
इस बाबत नगरीय
विकास मंत्री राजपाल
सिंह शेखावत ने
अगस्त, 2015 में भी
बैठक ली तथा
आवश्यक निर्देश दिऐ, किंतु
देखना होगा कि
मेरे मास्टर प्लान
को कब अंतिम
रूप दिया जाता
है।
फिलहाल, मेरे मास्टर
प्लान के प्रारूप
में मेरे भौतिक
स्वरूप, जलवायु, क्षेत्रीय परिपेक्ष्य,
ऐतिहासिक संदर्भ, जनांकिकी, व्यावसायिक
संरचना, भू-उपयोग,
नियोजन की नितियॉं
व सिद्धांत, नगरीय
क्षेत्र, नगरीयकरण योग्य क्षेत्र,
योजना उप क्षेत्र,
भू उपयोग योजना,
पौधशाला, फलोद्यान, पशुपालन, मुर्गीपालन,
फार्म हाउस, पहाड़ी
वन क्षेत्र, जलाशय,
पार्किंग, पर्यावरण, आपदा प्रबंधन,
ग्रामीण क्षेत्र तथा विशिष्ट
योजनाओं में फेस्टिवल
सिटी, पर्यटन सिटी,
कार्पोरेट पार्क, स्पोटर्स सिटी,
नोलेज सिटी, यातायात
हब व ओटोमोबाइल
हब आदि का
समाहित किया है।
प्रारूप में इन
सब विषयों पर
वर्तमान व भविष्य
का एक मोटा
खाका है।
इसकी खामियों
की बात करें
तो इसमें शहर
के विकास से
जुड़े नये प्रस्ताव
गायब है। स्मार्ट
सिटी, हैरिटेज सिटी,
टेम्पल सिटी, प्रसाद, अमृत
आदि गायब है।
भूउपयोग को लेकर
भी बड़े विवाद
है। प्रभावशाली लोगों
को फायदा पहुंचाने
के लिए कहीं
भूमि को व्यावसायिक
दिखाया गया है
तो कहीं आवासीय
दिखाया गया है।
ग्रीन बेल्ट का
भी सभी क्षेत्रों
में अभाव पाया
है। आरोप यह
भी है कि
मास्टर प्लान में जो
जोन बनाये है,
वे प्रभावशाली लोगों
के हितों को
ध्यान में रखकर
बनाऐ है। रेल्वे,
कैंटोनमेंट जैसी निजी
संपत्तियों को भी
मास्टर प्लान में शामिल
किया है, किंतु
यह प्लान इन
भूमियों पर लागू
नहीं होता है।
इसके अलावा मास्टर
प्लान में आई.टी. हब,
साइकिल सिटी जैसे
सुझाव भी शामिल
नहीं है। अतः
मास्टर प्लान को अंतिम
रूप देने से
पूर्व फिलहाल प्रशासनिक
अमले को अभी
बहुत माथा पच्ची
करनी है।
मुझे उम्मीद
है कि मास्टर
प्लान बनाने वाले
सिर्फ मेरा यानी
की शहर का
हित सर्वोपरी रखेंगे।
बुनियादी विकास के लिए
प्लानिंग सौ सालों
को मध्यनजर रख
कर करेंगे। मेरे
रिंग रोड़ के
लिए भी रास्ता
निकालंगे। शहर को
सुंदर बनाने के
लिए कुछ ठोस
कदम भी उठाने
पड़े तो पीछे
नहीं हटेंगें। भू
उपयोग के मामलों
में भाईभतिजावाद से
दूर रहेंगे। भूमाफियों
पर लगाम की
हर संभव कोशिश
रहेगी। कृषि भूमि
का बिना भूपरिवर्तन
के गैर कृषि
क्षेत्र में उपयोग
नहीं होने देंगे।
स्टाम्प ड्यूटी व राजस्व
की हानि नहीं
होने देंगे। उम्मीद
है इन सब
मापदंडों पर इसके
पैरोकार खरे उतरेंगे
तथा शीघ्र ही
मेरे समग्र मास्टर
प्लान को फाइनल
करके यहॉं के
नागरिकों के रूके
हुऐ कामों को
एक दिशा और
गति प्रदान करेंगें
तथा नियोजित विकास
में एक अहम
भूमिका निभाऐंगे।
मुझ से
जुड़े किशनगढ़ की
बात करें तो
वहॉं का मास्टर
प्लान को अंतिम
रूप दिया जा
चुका है। यहॉं
के मास्टर प्लान
2031 को राज्य सरकार द्वारा
राजस्थान नगर सुधार
अधिनियम 1959 की धारा
3(1) के अन्तर्गत दिनांक 07.07.2011 को
23 राजस्व ग्रामों तथा दिनांक
19.09.2012 को 2 राजस्व ग्रामों को
सम्मिलित करते हुए
अधिसूचित किया गया
है। इस प्रकार
किशनगढ़ नगरीय क्षेत्र 2031 में
कुल 25 राजस्व ग्रामों जिनका
कुल क्षेत्रफल 18,755.76 हैक्टेयर
है, राज्य सरकार
द्वारा राजस्थान नगर सुधार
अधिनियम 1959 की धारा
7(1) के अन्तर्गत मास्टर प्लान
को अन्तिम रूप
देते हुए अधिसूचित
किया जा चुका
है।
किंतु पुष्कर नगर
का मास्टर प्लान
अभी लंबित है।
पुष्कर नगर का
मास्टर प्लान 2031 राज्य सरकार
द्वारा अधिसूचना क्रमाक प.10(15)
नविवि/3/2011 दिनांक 18.03.2011 के द्वारा
राजस्थान नगर सुधार
अधिनियम के अंतर्गत
पुष्कर के नगरीय
क्षेत्र में पुष्कर
सहित 15 राजस्व ग्राम अधिसूचित
किये गये हैं,
इनका कुल अधिसूचित
क्षेत्र 13120 हेक्टेयर है। राज्य
सरकार द्वारा मास्टर
प्लान को अन्तिम
रूप देते हुए
अधिसूचित किया जाना
अभी शेष है।
अजमेर मास्टर डवलपमेन्ट
प्लान 2033 के अन्तर्गत
अजमेर नगरीय क्षेत्र 2033, किशनगढ़
नगरीय क्षेत्र 2031 एवं
पुष्कर नगरीय क्षेत्र 2031 को
सम्मिलित किया गया
है, जिसके अन्तर्गत
किशनगढ़ एवं पुष्कर
नगरों के मास्टर
प्लान नगर सुधार
अधिनियम 1959 के अन्तर्गत
तैयार किये गये
दोनो नगरों के
मास्टर प्लान 2031 के प्रस्तावों
के अनुसार मान्य
माने है।
मास्टर प्लान के
लिए हाल ही
में देवस्थान विभाग
ने पुष्कर स्थित
ब्रह्मा मंदिर का चयन
किया है। इसके
तहत मंदिर का
एक अलग से
मास्टर प्लान बनाकर उसी
के अनुरूप इसका
जीर्णाद्वार किया जाऐगा।
इसके लिए राज्य
सरकार ने 34 लाख रूपये
स्वीकृत किऐ है।
इसके अलावा ख्वाजा
साहब की दरगाह
के लिए भी
सन् 2011 में पीडीकोर
ने दरगाह मास्टर
प्लान बनाकर सौंपा
है। इसके तहत
दरगाह के चारों
ओर 15 फुट चौड़ा
कॉरिडोर, टायलेट, पार्किंग हब,
परिसर का समतलीकरण,
पीने के पानी
की व्यवस्था आदि
करने की चर्चा
थी तथा दो
चरणों में करीब
308 करोड़ रूपये खर्च करने
का योजना बनी,
किंतु इस पर
कोई खास काम
नहीं हुआ। इसी
योजना में चिन्हित
किऐ गऐ 5 मदों
पर डीपीआर तैयार
की गई, जिसे
मार्च, 2012 में प्रस्तुत
किया गया था।
यह योजना 36.65 करोड़
की थी। फरवरी,
2015 में दरगाह कमेटी ने
फिर मास्टर प्लान
तैयार किया है।
सूत्रों के अनुसार
दरगाह में विकास
कार्यो के साथ
151 जगह पर रखे
खादिमों के बक्से
व 24 अधिकृत व
24 अनाधिकृत दुकानों को हटाऐ
जाने की कार्यवाही
भी शामिल है।
काश! मेरे
विकास और विस्तार
के लिए हो
रही प्लानिंग एक
अच्छे नतीज तक
पहुंच जाऐ तथा
उसका एक्जीक्यूशन ढंग
से हो जाऐ
तो मेरा गंगा
स्नान हो जाऐ।
यदि एक बार
प्लानिंग पटरी पर
आ गई तो
फंड, पर्यटक, निवेश
जैसी चीजों की
कोई कमी नहीं
रहेगी। नवम्बर, 2015 में जयपुर
में हुऐ ‘रिसर्जेंट
राजस्थान’ में भी
अजमेर पर उद्योगपतियों
की खास महरबानी
थी। मेरे यहॉं
होटल व्यवसाय के
लिए 256.35 करोड़ एवं
अस्पताल व मेडिकल
कॉलेज के लिए
280 करोड़ रूपये के निवेश
को हरी झंडी
मिली है। यह
सब मेरे बढ़ते
कदमों और उज्जवल
भविष्य को देखते
हुऐ ही हुआ
है।
मैं तो
यही कहूंगा कि
मेरे ऐतिहासिक, धार्मिक,
शैक्षणिक, प्रशासकीय, पर्यटन व
दो दो अन्तर्राष्ट्रीय
मेले आदि के
महत्व को दृष्टिगत
रखते हुऐ यहॉं
के मास्टर प्लान
को एक समग्र
रूप दिया जाऐ
तथा उसके सही
एक्जीक्यूशन को सुनिश्चित
किया जाऐ।
(अनिल
कुमार जैन)
‘अपना
घर’, 30-अ,
सर्वोदय
कॉलोनी, पुलिस लाइन,
अजमेर
(राज.) - 305001
Mobile - 09829215242
aniljaincbse@gmail.com
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