मैं अजमेर
अद्भुत मेरा
रेल
म्यूजियम!
इस
रेल
म्यूजियम
की
कल्पना
को
साकार
किया
अजमेर
रेलवे
प्रबंधक
पुनित
चावला
ने।
आपकी
पहल
से
इसे
डीआरएम
आफिस
के
निकट
जीएलओ
ग्राउंड
(जनरल
लाइज्निंग
आफिस
की
दीवारों
पर
बनाया
गया
है।
इसका
श्रीगणेश
24 अक्टूबर
2017 को
रेल
प्रबंधक
स्वयं
पुनित
चावला
ने
किया।
2 दिन
तक
चली
इस
वाल
पेंटिग्स
के
लिए
रेल
प्रशासन
ने
सभी
कलाकारों
को
वाल
पैनल
तैयार
करके
आवश्यक
सामग्री
उपलब्ध
कराई।
इस
अद्भुत
आयोजन
में
रेलवे
की
सहयोगी
संस्था
रही
यूनाईटेड
अजमेर।


पाचवीं पेंटिग में सन् 1878 में बने स्टीम लोकोमोटिव का चित्र है। यह इंजन सन् 1885 तक राजपूताना रेलवे के लिए और फिर सन् 1952 तक यह जोधपुर राज्य में संचालित रहा। छठे चित्र में शंटिंग लोकोमोटिव को दर्शाया है जो कि भारत का पहला आयातित इंजन था। यह सन् 1873 का निर्मित है जिसका उपयोग अजमेर कारखाने में भी किया गया। सातवें चित्र में मीटर गेज लोको वाईजी 3572 को दर्शाया है जिसका निर्माण चितरंजन लोको में हुआ। यह सन् 1972 तक कार्य में रहा। इसके बाद फैयरी क्वीन इंजन का चित्र है। नाम के अनुरूप यह सुंदर और सबसे पुराना भाप इंजन है। इसका निर्माण सन् 1855 में हुआ। यह आज भी दिल्ली अलवर के बीच संचालित है। इस पेंटिंग को दीक्षिता शाक्या ने बनाया।

तेहरवीं
पेंटिंग
में
भाप
इंजन
एम-1
क्लास]
4-4-0 डिजाइन
जिसका
निर्माण
अजमेर
लोको
में
सन्
1913 में
हुआ
को
दर्शाया
है।
खेतों
के
बीच
गुजरते
धू
घू
का
गुबार
छोड़ते
इस
इंजन
का
चित्र
हूबहू
बन
पड़ा
है।
इसको
चित्रित
किया
है
द
वंडर
ब्रूश
के
कलाकार
विक्रम
सिंगोदिया
मोनिका
चैहान
श्वेता
शर्मा
ने।
इस
पेंटिंग
को
प्रथम
स्थान
से
नवाजा
गया
है।
इसके
बाद
1910 का
भाप
इंजन
का
चित्र
है।
यह
इंजन
कराची
पोर्ट
ट्रस्ट
मराला
टिम्बर
डिपो
ईस्ट
पंजाब
और
फिर
नोर्थ
रेलवे
में
कार्यरत
रहा।
इस
पेंटिंग
को
तृतीय
स्थान
मिला।
15वीं
पेंटिंग
में
टाय
ट्रेन
इंजन
है।
इस
टाय
ट्रेन
की
शुरूआत
कांकरिया
झील
अहमदाबाद
में
सन्
2008 में
हुई।
इस
पेंटिंग
का
आकांक्षा
जैन, तनवी
अग्रवाल
एवं
दामिनी
जैन
ने
बनाया।
इसके
बाद
डी1
क्लास
4-6-4 टी
लोकोमोटिव
है
जिसका
निर्माण
सन्
1917 में
अजमेर
में
हुआ।
इसके
बाद
सन्
1920 के
करीब
काम
में
लिये
जाने
वाले
4 पहिये
वाले
कोच
का
दृश्य
है।
18वीं
पेंटिंग
में
वूडन
कोच
का
दृश्य
है
जो
कि
आजादी
के
पूर्व
पश्चिमी
बंगाल
में
यूज
किया
जाता
था।
इसके
बाद
नैरो
गेज
के
कोच
की
पेंटिंग
है।
यह
कोच
सेंट्रल
रेलवे
में
काम
आता
रहा।
इसे
राजकीय
कन्या
महाविद्यालय
अजमेर
की
छात्रा
नेहा
सोनी
प्रिया
लामा
एवं
ऐश्वर्या
ने
बनाया।
इसके
बाद
दूंरतो
एलएचबी
(लिंक
हाफमैन
बुश
कोच
की
पेंटिंग
है।
यह
सन्
2009-10 में
आरम्भ
हुऐ
जो
कि
हाई
स्पीड
ट्रेनों
के
लिए
एक
पहल
थी।
इसके
बाद
भी
एलएचबी
कोच
की
पेंटिंग
है।
22वीं
पेंटिंग
में
भाप
इंजन
है
जो
कि
पहाड़ी
वादियों
से
गुजरती
दर्शायी
है।
23वीं
पेंटिंग
में
द
हिमालयन
बर्ड
नामक
टाय
ट्रेन
को
दर्शाया
है।
दो
फीट
की
नैरो
गेज
की
यह
ट्रेन
न्यू
जलपाईगुड़ी
एवं
दार्जिलिंग
के
मध्य
चलती
है
जो
कि
पर्यटकों
में
काफी
लोकप्रिय
है।
24वीं
पेंटिंग
में
मुंबई-थाने
के
बीच
बने
पहले
ब्रिज
का
चित्र
है।
इसका
निर्माण
सन्
1854 में
हुआ।

इन
पेंटिग्स
के
जरिये
कलाकारों
ने
रेलवे
की
कई
महत्वपूर्ण
जानकारियों
पर
प्रकाश
डाला
है।
इसमें
रेलवे
के
विकास
के
साथ
साथ
अजमेर
की
इमारतें
इतिहास
तथ्य
रेलवे
स्टेशन
की
भव्य
इमारत, डीआएम
कार्यालय, ब्रिज,
सिग्नल, डिब्बे, ट्रेन, वर्कशाप आदि
को
बखूबी
दर्शाया
है
जोकि
एक
सराहनीय
कार्य
है।
कहीं
इंजन
की
सिटी
बजती
दिख
रही
है
तो
कहीं
इंजन
का
धुंआ
उठ
रहा
है।
कहीं
पुल
के
ऊपर
से
ट्रेन
गुजर
रही
है
तो
कहीं
गुफा
से
निकलती
ट्रेन
दर्शायी
है।
कहीं
घुमावदार
कर्व
से
गुजरती
ट्रेन
दिखाई
है
तो
कहीं
ट्रेन
का
सफर
करते
यात्री
भी
दर्शाये
है
जिसे
देखकर
बरबस
ही
वाह!
निकल
पड़ता
है।
रेलवे
ने
इस
कार्य
में
जुटे
सभी
कलाकारों
को
14 नवम्बर
2017 को
प्रमाण-पत्र
देकर
सम्मानित
किया
है।
अभियान
में
सहयोगी
रही
कीर्ति
पाठक
के
नेतृत्व
में
यूनाईटेड
अजमेर
की
टीम
भी
बधाई
की
पात्र
है।
रेल
विभाग
ने
इन
पेंटिंग्स
पर
अब
इपोक्सी
कोटिंग
करके
इसके
बाहर
फैंसिंग
की
है
ताकि
यह
लंबे
समय
तक
सुरक्षित
रह
सके।
लीक
से
हटकर
यह
सड़क
किनारे
रेल
संग्रहालय
वास्तव
में
अद्भुत
दर्शनीय
और
जानकारियों
से
भरा
है।
इस
सुंदर
शुरूआत
के
लिए
रेलवे
और
विशेष
तौर
पर
डीआरएम
पुनीत
चांवला
जी
बधाई
के
पात्र
है।
उम्मीद
है
इसे
वे
और
आगे
तक
ले
जायेंगे
और
इस
संग्रहालय
को
अच्छा
आकार
दे
पाने
में
सफल
होंगे।
शुभकामनाओं
के
साथ,
अनिल कुमार
जैन
‘अपना घर
30 अ
सर्वोदय कालोनी
पुलिस
लाइन
अजमेर राज
- 305001
फोन 09829215242
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