मैं,
अजमेर ...17
मेरा सपना - मेरा
हवाई अड्डा
मेरे यहॉं
हवाई अड्डे की
चर्चा यॅू तो
2-3 दशकों से चल
रही थी। प्रधानमंत्री
राजीव गांधी के
जमाने में भी
बात उठी। अजमेर
के सांसद रासासिंह
रावत व अन्य
नेताओं ने भी
समय समय पर
अपने मंच के
माध्यम से इस
मुद्दे को उठाया,
किंतु फ्लोर पर
यह मुद्दा सन्
2013 में ही फलीभूत
हुआ। इससे पूर्व
सबसे निकटतम हवाई
अड्डा सांगानेर (जयपुर)
ही रहा। इसके
अलावा हैलीकॉप्टर के
लिए घूघरा में
हैलीपेड अवश्य रहा।
समुद्र
तल से करीब
450 मीटर की ऊॅंचाई
पर स्थित इस
निर्माणाधिन हवाई अड्डे
की किशनगढ़ से
दूरी करीब 2 किमी
है। अजमेर से
किशनगढ़ जाते समय
यह राष्ट्रीय राजमार्ग
8 पर उल्टे हाथ
की ओर पड़ता
है। यह करीब
26.34 डिग्री उत्तरी अक्षांस से
74.49 डिग्री पूर्वी देशांतर के
मध्य स्थित है।
एक मोटे अनुमान
के अनुसार इस
पर करीब 181 करोड़
रूपये खर्च होना
है।
प्रथम चरण में
यह ऐयरपोर्ट डेश-8
क्यू 400 टाइप विमानों
के लिए विकसित
किया जाऐगा तथा
इसके उपयोग व
मांग के अनुरूप
द्वितीय चरण में
इसे ए-321 टाइप
एयरक्राफ्ट के लिए
विकसित किया जाऐगा।
एयरपोर्ट डोमेस्टिक प्रकृति का
होगा। आरम्भ में
रन-वे, टर्मिनल
बिल्डिंग, अप्रोन, टैक्सी ट्रक
रनवे, शॉल्डर बाउंड्री
वॉल आदि का
कार्य हो रहा
है। डेश 8 क्यू
400 श्रेणी के विमानों
में 72 व 90 यात्रियों
के बैठने की
व्यवस्था होती है।
बाउंड्रीवॉल, रन-वे
आदि का कार्य
प्रगति पर है।
रन-वे की
लम्बाई करीब 2152 मीटर है।
एचटी और एलटी
विद्युत लाईनों को हटाने
का कार्य भी
प्रक्रिया में है।
टर्मिनल बिल्डिंग का कार्य
भी प्रगति पर
है। इसका कार्य
अजमेर के मैसर्स
रंजीत सिंह चौधरी
ठेकेदार कर रहे
है।
ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे
की पर्यावरणीय स्वीकृति
हेतु यहॉं 27 मई,
2014 को जनसुनवाई हुई है,
जिसमें यहॉं के
ग्रामीणों की समस्याऐं
सुनी गई तथा
उन्हें आश्वस्त किया गया
कि प्रशासन की
ओर से निष्पक्षता
से सभी बिंदुओं
पर कार्यवाही की
जाऐगी। इसके अलावा
इस क्षेत्र की
मिट्टी, जलवायु, पशु-पक्षी,
वनस्पति, वन्य जीव
प्राणी, जानवर, जलीय पक्षी,
वायु की गति
व दिशा, प्रदुषण,
ध्वनी, वर्षा, आद्रर्ता जैसे
अनेक घटकों की
गहन जॉंच की
गई तथा पर्यावरण
संबंधी विस्तृत रिपार्ट जारी
की गई। रिपोर्ट
के अनुसार पर्यावरण
संतुलन आदि को
सही रखने के
लिए आवश्यक कदम
उठाने की भी
बात कही गई
है।
राज्य सरकार को
जो भूमि अधिग्रहण
कर के भारतीय
विमान पत्तन प्राधिकरण
को सौंपनी थी
वह कार्य अभी
भी प्रक्रिया में
ही है। अधिकांश
भूमि दी जा
चुकी है, किंतु
करीब 68 एकड़ भूमि
की अवाप्ति का
मसला अटका है।
खैर, प्रशासन इस
ओर सक्रिय है।
17 दिसम्बर, 2015 में हवाई
अड्डा प्राधिकरण अध्यक्ष
आर.के.श्रीवास्तव
ने भी इस
स्थल का दौरा
किया तथा बची
हुई जमीन के
मिलते ही काम
पूरा होने की
उम्मीद जताई। ऐयरपोर्ट ऑथेरिटी
महानिदेशक संजीव जिंदल व
संयुक्त महानिदेशक एलजी मीणा
आदि भी कार्य
पूरा कराने में
सक्रिय है।
अभी मेरे
यहॉं से हवाई
जहाजों के उड़ानों
में देरी है,
किंतु मेरे बाशिंदे
अपने हवाई उड़ान
के सपने अभी
से बुनने लगे
है। हवाई अड्डा
बनते ही मेरे
आंगन में बने
जगत पिता ब्रह्माजी
के धाम, सूफी
संत ख्वाजा मोईनुद्दीन
चिश्ती की दरगाह
व अन्य पर्यटन
स्थलों पर देश-विदेश के पर्यटकों,
श्रृद्धालुओं व पीआईपी
लोगों की संख्या
में गजब का
इजाफा होने की
उम्मीद है। उर्स
एवं कार्तिक पुष्कर
मेले में भी
दूर दूर से
लागों की आवक
में इजाफा होगा।
किशनगढ़ के मार्बल
उद्योग, पावरलूम उद्योग, बणीठणी
पेंटिंग एवं ब्यावर
के उद्योगों व
पुष्कर-अजमेर के धार्मिक
यात्राओं व पर्यटन
सहित कई चीजों
के पंख लगेंगे।
हवाई अड्डे
का नाम क्या
होगा? यह भी
चर्चा में है।
कुछ इसका नाम
अंतिम हिंदू सम्राट
पृथ्वीराज के नाम
पर चाहते है
तो कुछ सूफीसंत
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती तो
कुछ प्रजा पिता
ब्रह्मा के नाम
पर इसका नाम
चाहते है। फिलहाल
इसका कार्य ‘किशनगढ़
ऐयरपोटर्’ के नाम
से चल रहा
है। देखते है
- प्रशासन, जनप्रतिनिधि व सरकार
इसे क्या नाम
देते है। जो
भी हो, हवाई
अड्डे के निर्माण
के साथ ही
मेरे यहॉं एक
नये युग की
शुरूआत होगी। ‘हॉट डेस्टिेनेशन’
के रूप में
मैं देश-विदेश
के लोगों की
जद में होगा।
(अनिल
कुमार जैन)
‘अपना
घर’, 30-अ,
सर्वोदय
कॉलोनी, पुलिस लाइन,
अजमेर
(राज.) - 305001
Mobile - 09829215242
aniljaincbse@gmail.com
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